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आदि शंकराचार्य के उद्धरण

मैं न सत् हूँ, न असत् हूँ और न उभयरूप हूँ। मैं तो केवल शिव हूँ। न मेरे लिए संध्या है, न रात्रि है, और न दिन है, क्योंकि मैं नित्य साक्षीस्वरूप हूँ।