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आदि शंकराचार्य के उद्धरण

मैं न जन्म लेता हूँ, न बड़ा होता हूँ, न नष्ट होता हूँ। प्रकृति से उत्पन्न सभी धर्म देह के कहे जाते हैं। कर्तृत्व आदि अहंकार के होते हैं। चिन्मय आत्मा के नहीं। मैं स्वयं शिव हूँ।