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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

जीवन-तथ्यों की वास्तविकता अर्थात् मानव-यथार्थ को दृष्टि से ओझल करके; सिद्धांतों को जब लागू किया जाता है, तब भूल होना स्वाभाविक होता है।