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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

जीवन-परिस्थिति में परिवर्तन से और यथार्थ के नए-नए पहलुओं के खुलने से, उनके आभ्यंतरीकरण के द्वारा लेखक का जो संवेदनात्मक वैयक्तिक इतिहास बनता है, वह इतिहास पूर्ववर्ती प्रवृत्ति के कवियों से सर्वथा भिन्न होता है।