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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

जीवन-चिंतन; जीवन-यथार्थ के ज्ञान, संवेदनात्मक-संवेदन-ज्ञानात्मक-आकलन पर निर्भर रहना चाहिए। उसका मूल आधार उसकी मूल सामग्री है—जीवन यथार्थ ही। तभी बैद्धिक चिंतन को सत्य-प्राप्ति होती है।