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जयशंकर प्रसाद के उद्धरण

हाँ जीवन के लिए कृतज्ञ, उपकृत और आभारी होकर किसी के अभिमान पूर्ण आत्म-विज्ञान का भार ढोती रहूँ,—यही क्या विधाता का निष्ठुर विधान है? छुटकारा नहीं?

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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