Font by Mehr Nastaliq Web

श्यामसुंदर दास के उद्धरण

बाह्य-सृष्टि मनुष्य पर सुख-दु:ख, रूप-विरूप, हित-अहित आदि की जी भावनाएँ उत्पन्न करती हैं, उनको अभिव्यंजित करना मनुष्य के लिए अनिवार्य-सा है।