विद्यानिवास मिश्र का परिचय
जन्म : 14/01/1926 | गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
निधन : 14/02/2005
हिन्दी-संस्कृत के अग्रणी विद्वान, प्रख्यात निबंधकार, भाषाविद् और चिन्तक डॉ. विद्यानिवास मिश्र का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद के पकड़डीहा गाँव में 14 जनवरी, 1926 ई. को हुआ। 1945 में प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत में परास्नातक होने के बाद हिन्दी साहित्य सम्मेलन में स्व. राहुल सांकृत्यायन के निर्देशन में उन्होंने कोश कार्य किया और उसके बाद विंध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सूचना विभागों से जुड़ गए। वर्ष 1957 में विश्वविद्यालयी सेवा में आने के क्रम में उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय और आगरा विश्वविद्यालय में संस्कृत और भाषा विज्ञान का अध्यापन किया। उसके बाद वे कैलिफोर्निया और वाशिंगटन विश्वविद्यालयों में अतिथि प्रोफेसर, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ, आगरा के निदेशक (1977-86), काशी विद्यापीठ एवं सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति और नवभारत टाइम्स के प्रधान सम्पादक भी रहे।
डॉ. विद्यानिवास मिश्र का साहित्यिक-व्यक्तित्व, ज्ञान-विज्ञान, समाज-संस्कृति, साहित्यकला की आधुनिक चेतना सम्बद्ध रहा। संस्कृत भाषा के साथ हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य के मर्मज्ञ—वे अनेक संस्थाओं में सम्मानित सदस्य के तौर पर रहे हैं।
भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के आग्रही डॉ. विद्यानिवास मिश्र हिंदी-साहित्य वांग्मय में निबन्ध की ललित विधा के महनीय साहित्यिक-व्यक्तित्व रहें हैं। सर्वश्रेष्ठ निबन्धकार के रूप में वे व्यापक रूप से प्रतिष्ठित रहे, बल्कि आज भी प्रासंगिक हैं.
साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें वर्ष 1988 में भारत सरकार के पद्मश्री, वर्ष 1990 में भारतीय ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी पुरस्कार और के.के. बिड़ला फाउंडेशन के शंकर पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। साहित्य अकादेमी की कार्यकारी मण्डल के सदस्य और संस्कृत भाषा सलाहकार मण्डल के संयोजक रहे डॉ. विद्यानिवास मिश्र की प्रकाशित कृतियों की संख्या सत्तर से अधिक है, जिनमें व्यक्तिव्यंजक निबंध संग्रह, आलोचनात्मक तथा विवेचनात्मक कृतियाँ भाषा चिन्तन के क्षेत्र में शोध ग्रंथ और कविता संकलन सम्मिलित हैं। वे ‘इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ हिंदुइज़्म’ और ‘हिन्दी मासिक साहित्य अमृत’ के सम्पादन कार्य से जुड़े रहे.
डॉ. विद्यानिवास मिश्र के प्रमुख निबंध-संग्रह हैं:-
छितवन की छाँह, कदम की फूली डाल, आँगन का पंछी और बनजारा मन, तुम चन्दन हम पानी, मेरे राम का मुकुट भीग रहा है, कौन तू फुलवा बीननिहारी, अंगद की नियति, तमाल के झरोखे से।
ललित निबन्ध संग्रह के अलावा विद्यानिवास मिश्र के पुराविद्या-विषयक अनेक ग्रंथ प्रकाशित हैं।
14 फरवरी 2005 को एक सड़क-दुर्घटना में उनका निधन हो गया।