1910 - 1996
शुक्लोत्तर युग के प्रमुख कथाकार, एकांकीकार और उपन्यासकार। निम्न-मध्यमवर्गीय यथार्थ चित्रण के लिए उल्लेखनीय।
यशपाल से मेरा परिचय न घना है न पुराना−उस इंद्रधनुष के परिचय-सा है, जिसका एक सिरा नीचे के बादलों में गुम हो और दूसरा आकाश के विस्तार में खो गया हो और दो-चार बार ही जिसकी झलक मुझे मिली हो। यशपाल के अतीत को मैं अधिक नहीं जानता, केवल इतना सुना है
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जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।
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