उपेंद्रनाथ अश्क के डायरी
पुरानी डायरी के पन्ने-2
आकाशगामी सुंदर तन्वी के गुलाबी गाल पर आँसू का कण अहंकार के नशे में काँप उठा, वह उस साम्राज्य का स्वामी था, जहाँ देवताओं के पंख भी जलते थे। फूल के रेशमी बिछोने पर शबनम का मोती सूरज की पहली किरण के साथ जागा और उसने गर्व से अंगड़ाई ली— किरण को बुलंदी