वेदव्यास और वाल्मीकि में से कोई भी जाति के आधार पर महान नहीं बने थे।
शेयर
कन्नड़ भाषा और संस्कृति को चाहने वाले लेखकों की तरह मुझे भी अन्य भाषा की निंदा-तिरस्कार करना पसंद नहीं है।
शेयर
गांधी मानते हैं कि मनुष्य का लोभ ही उसके नाश का कारण है। लेकिन मार्क्स के अनुसार यह लोभ ही मानव के इतिहास की प्रगति का लक्षण है। मार्क्स की तरह गांधी पूर्वग्रह से पीड़ित नहीं थे।
शेयर
जब भाषा अपने निजीपन को खोकर भी; लक्ष्य-भाषा-संस्कृति में अपने स्वभाव-गुणों को क़ायम रखती है, तभी अनुवाद अच्छा कहलाएगा।
शेयर
हममें ऐसे उन्मुक्त संवेदनशील संसार का निर्माण करने की ललक होनी चाहिए कि संसार का कोई भी व्यक्ति; स्वेच्छा से कर्नाटक वाला बन सके और उसी तरह कर्नाटक का कोई व्यक्ति संसार के किसी भी प्रदेश वाला बन सके।
You have exhausted your 5 free content pages. Register and enjoy UNLIMITED access to the whole universe of Urdu Poetry, Rare Books, Language Learning, Sufi Mysticism, and more.