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पिंगली सुरन्ना

1500 - 1550 | आँध्र प्रदेश

पिंगली सुरन्ना के उद्धरण

दुष्ट लोगों को दंड देना और शिष्ट लोगों को दंड देना—ये दोनों राजाओं को कलंकित करते हैं।

जीवात्मा का परमात्मा से संयोग ही योग कहा जाता है।

अपने सभी प्रकार के बल से नैतिक बल सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

स्वच्छ बुद्धि के लिए कुछ भी अगम्य नहीं है।

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