Neelesh Raghuvanshi's Photo'

नीलेश रघुवंशी

1969 | गंज बसौदा, मध्य प्रदेश

नवें दशक की महत्त्वपूर्ण कवयित्री। ‘एक क़स्बे के नोट्स’ शीर्षक उपन्यास के लिए उल्लेखनीय। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित

नवें दशक की महत्त्वपूर्ण कवयित्री। ‘एक क़स्बे के नोट्स’ शीर्षक उपन्यास के लिए उल्लेखनीय। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित

नीलेश रघुवंशी का परिचय

नवें दशक की महत्त्वपूर्ण कवयित्री नीलेश रघुवंशी का जन्म 4 अगस्त, 1969 को गंज बासौदा, मध्य प्रदेश में हुआ। कविता के चर्चित क्षेत्र में उनका प्रवेश ‘हंडा’ कविता के साथ हुआ जिसके लिए 1997 में उन्हें भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार प्रदान किया गया।  

वह कविता प्रदेश में नितांत अलग तरह की उपस्थिति रखती हैं। गीत चतुर्वेदी के शब्दों में—‘‘जब मैं नीलेश रघुवंशी की कविताएँ पढ़ता हूँ, तो मुझे ब्‍लैक एंड व्‍हाइट फ़िल्‍मों की याद आ जाती है, जहाँ कई सारे रंगों से नहीं, बल्कि किसी अपरिमेय छाँव को साधने की कोशिश की जाती है। रंगों की महत्‍वाकांक्षा चौंध में तब्‍दील होना नहीं होता होगा, वे सब एक अपूर्व छाँव बन जाना चाहते हैं। सॉफ़्ट लेंस के प्रयोग से कुछ पैंसिव छवियों का निर्माण होता है, पानी उस जगह फूटकर निकलता है, जहाँ का पता ख़ुद नमी के पास नहीं होता। आसपास, घर-परिवार, जीवन-समाज के बारीक अनुभव और सादगी का आभास कराता एक बेहद सजग शिल्‍प-शब्‍द-विधान तो हैं ही, विलक्षण यह भी है कि यहाँ स्‍मृति बिना किसी सिंगार के आती है। यह कभी नहीं कहा जा सकता कि कविता अबूझ स्‍मृतियों के आगे प्रार्थना होती है या उन्‍हीं का एक अनुषंग, पर यहाँ स्‍मृति अपने खंडों-टुकड़ों में भी नैसर्गिक है। स्‍मृति का सहज नैसर्गिक होना-दिखना साधना की अनिवार्य माँग है, क्‍योंकि दोनों अमूमन अलग ध्रुवों पर रहते हैं। नीलेश की कविताएँ इस साधना से निकलती हैं, किसी योगी-सी मुद्रा में नहीं, बल्कि इस समूचे प्रदेश की अपनी नागरिकता को याद रखते हुए। और यहीं उनकी अद्वितीयता के सूत्र हैं।’’ 

उनके तीन कविता-संग्रह ‘घर-निकासी’ (1997), ‘पानी का स्वाद’ (2004) और ‘अंतिम पंक्ति में’ (2008) प्रकाशित है। उपन्यास ‘एक क़स्बे के नोट्स’ के लिए उनकी अलग से विशेष प्रशंसा की गई है। इसके अतिरिक्त, गद्य में ‘छूटी हुई जगह’ (स्त्री कविता पर नाट्य आलेख), ‘अभी ना होगा मेरा अंत’ (निराला पर नाट्य आलेख), ‘ए क्रिएटिव लीजेंड’ (सैयद हैदर रज़ा एवं ब। व। कारंत पर नाट्य आलेख) भी प्रकाशित है। उन्होंने बाल नाटकों पर भी कार्य किए हैं।

वह भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, केदार सम्मान, युवा लेखन पुरस्कार (भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता) आदि से सम्मानित की गई हैं।

Recitation

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए