मैनेजर पांडेय का परिचय
हिंदी के समादृत लेखक-आलोचक मैनेजर पांडेय का जन्म 23 सितम्बर, 1941 को बिहार के गोपालगंज जिले के लोहटी गाँव में हुआ। डी.ए.वी कॉलेज, बनारस से स्नातक होने के बाद, उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदी में परास्नातक किया। ‘भक्ति आंदोलन और सूरदास’ पर अपना शोध कार्य 1968 में पूरा करने के बाद, उन्होंने बरेली कॉलेज में दो साल तक अध्यापन भी किया। उसके बाद जोधपुर विश्वविद्यालय में छह वर्षों तक अध्यापन करने के बाद, वे जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केंद्र में हिंदी के प्रोफ़ेसर के साथ-साथ वो विभागाध्यक्ष भी रहे।
उनकी प्रमुख कृतियों में :
शब्द और कर्म, साहित्य और इतिहास-दृष्टि, भक्ति आन्दोलन और सूरदास का काव्य, सूरदास, साहित्य के समाजशास्त्र की भूमिका, आलोचना की सामाजिकता, उपन्यास और लोकतंत्र, हिंदी कविता का अतीत और वर्तमान, आलोचना में सहमति-असहमति, भारतीय समाज में प्रतिरोध की परम्परा, साहित्य और दलित दृष्टि, शब्द और साधना, संकट के बावजूद (मुख्यतः विदेशी लेखकों के कुछ चुनिंदा साक्षात्कारों एवं आलेखों का अनुवाद, चयन और सम्पादन), अनभै साँचा, मेरे साक्षात्कार, मैं भी मुँह में जुबान रखता हूँ, संवाद-परिसंवाद, बतकही, देश की बात,मुक्ति की पुकार, सीवान की कविता, नागार्जुन: चयनित कविताएँ, सूर संचयिता, मुग़ल बादशाहों की हिंदी कविता, लोकगीतों और गीतों में 1857, शब्द और साधना आदि प्रमुख हैं।
उन्हें हिंदी अकादमी द्वारा दिल्ली का ‘शलाका सम्मान’, ‘साहित्यकार सम्मान’, ‘राष्ट्रीय दिनकर सम्मान’, रामचंद्र शुक्ल शोध संस्थान, वाराणसी का ‘गोकुल चंद्र शुक्ल पुरस्कार’ और दक्षिण भारत प्रचार सभा का ‘सुब्रह्मण्य भारती सम्मान’ आदि सम्मान मिले हैं। लंबी बीमारी के बाद दिल्ली में 6 नवंबर, 2022 को 89 वर्ष की अवस्था में उनका निधन हो गया।