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हरीशचंद्र पांडे

1952 | अल्मोड़ा, उत्तराखंड

नवें दशक में सामने आए हिंदी के महत्त्वपूर्ण कवि। अपने काव्य-विषयों, धैर्य और सादगी के लिए उल्लेखनीय।

नवें दशक में सामने आए हिंदी के महत्त्वपूर्ण कवि। अपने काव्य-विषयों, धैर्य और सादगी के लिए उल्लेखनीय।

हरीशचंद्र पांडे का परिचय

मूल नाम : हरीशचंद्र पांडे

जन्म :अल्मोड़ा, उत्तराखंड

हरीशचंद्र पांडे का जन्म उत्तराखंड से अल्मोड़ा में 28 दिसंबर 1952 को हुआ। अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ से स्कूली शिक्षा और कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर के बाद वह केंद्र सरकार के लेखा विभाग में इलाहाबाद में सेवारत हुए। इलाहाबाद में वह वृहत साहित्यिक बिरादरी के संपर्क में आए और साहित्यिक रचनात्मकता की ओर गंभीरता से प्रवृत्त हुए। वह नवें दशक में सामने आए महत्त्वपूर्ण कवि के रूप में प्रतिष्ठित हैं जिन्होंने अपने काव्य-विषयों, धैर्य और सादगी से देश के वृहत कविता-प्रदेश को अपनी ओर आकर्षित किया। 

‘कुछ भी मिथ्या नहीं है’, ‘एक बुरुंश कहीं खिलता है’, ‘भूमिकाएँ ख़त्म नहीं होतीं’ और ‘असहमति’ उनके काव्य-संग्रह हैं। इसके अतिरिक्त उनकी कविताओं का चयन ‘मेरी चुनिंदा कविताएँ’ और ‘मेरी प्रिय कविताएँ’ शीर्षक से प्रकाशित है। उनका एक कहानी-संग्रह ‘दस चक्र राजा’ और एक बाल-कथा संग्रह ‘संकट का साथी’ शीर्षक से प्रकाशित है। वह विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होते रहे हैं। अँग्रेज़ी और बांग्ला, उड़िया, पंजाबी, उर्दू, गुजराती, मैथिली आदि भारतीय भाषाओं में उनकी कविताओं का अनुवाद हुआ है। उनकी कविताओं पर शोध-कार्य भी हुए हैं। 

वह सोमदत्त पुरस्कार, केदार सम्मान, ऋतुराज सम्मान, हरिनारायण व्यास सम्मान, शमशेर सम्मान आदि से विभूषित हैं।

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