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हरिशंकर परसाई

1924 - 1995 | होशंगाबाद, मध्य प्रदेश

समादृत लेखक-व्यंग्यकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

समादृत लेखक-व्यंग्यकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

हरिशंकर परसाई की संपूर्ण रचनाएँ

संस्मरण 3

 

कहानी 2

 

निबंध 1

 

उद्धरण 101

बेइज़्ज़ती में अगर दूसरे को भी शामिल कर लो तो आधी इज़्ज़त बच जाती है।

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इस क़ौम की आधी ताक़त लड़कियों की शादी करने में जा रही है। पाव ताक़त छिपाने में जा रही है—शराब पीकर छिपाने में, प्रेम करके छिपाने में, घूस लेकर छिपाने में...बची हुई पाव ताक़त से देश का निर्माण हो रहा है तो जितना हो रहा है, बहुत हो रहा है। आख़िर एक चैथाई ताक़त से कितना होगा।

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सारी दुनिया ग़लत है। सिर्फ़ मैं सही हूँ, यह अहसास बहुत दुख देता है।

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जो प्रेमपत्र में मूर्खतापूर्ण बातें लिखे, उसका प्रेम कच्चा है, उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए। पत्र जिनता मूर्खतापूर्ण हो, उतना ही गहरा प्रेम समझना चाहिए।

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दुनिया के पगले शुद्ध पगले होते है—भारत के पगले आध्यात्मिक होते हैं।

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व्यंग्य 2

 

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