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भट्ट मथुरानाथ शास्त्री

1889 - 1964 | जयपुर, राजस्थान

समादृत संस्कृत कवि-लेखक-विद्वान। आधुनिक संस्कृत साहित्य में विपुल योगदान हेतु उल्लेखनीय।

समादृत संस्कृत कवि-लेखक-विद्वान। आधुनिक संस्कृत साहित्य में विपुल योगदान हेतु उल्लेखनीय।

भट्ट मथुरानाथ शास्त्री के उद्धरण

हे भगवान! 'मैं आपका सेवक हूँ' यह कैसे कह सकता हूँ? 'मैं आपकी शरण हूँ' यह कहने का भी मेरा भाग्य कहाँ! 'मैं दीन और दुर्दशाग्रस्त हूँ' यह आप दयानिधि से कहने की क्या आवश्यकता? 'आपके नाम स्मरण का मुझे आसरा है, यह भी कहने का मेरा समय नहीं। मैं पापी इस स्थिति में किस साहस पर दया की याचना करूँ? 'अजामिल आदि पापियों की भाँति मेरी भी रक्षा कीजिए' यह कहने का भी क्या मेरा भाग्य है? हे दयालु! आपकी दृष्टि को पाने के लिए मैं क्या निवेदन करूँ, यह तनिक आप ही बता दीजिए।

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