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अश्वघोष

80 AD - 150 AD | अयोध्या, उत्तर प्रदेश

बौद्ध दार्शनिक, नाटककार, कवि, संगीतकार और उपदेशक। 'बुद्धचरित' और सौंदरानंद' जैसी कृतियों के लिए उल्लेखनीय।

बौद्ध दार्शनिक, नाटककार, कवि, संगीतकार और उपदेशक। 'बुद्धचरित' और सौंदरानंद' जैसी कृतियों के लिए उल्लेखनीय।

अश्वघोष की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 19

अतिथि कैसा भी हो, उसका आतिथ्य करना श्रेष्ठ धर्म है।

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दुखों में अज्ञान-दुःख सबसे बड़ा दुःख है।

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दुःख के प्रतिकार से थोड़ा दुःख रहने पर भी मनुष्य सुख की कल्पना कर लेता है।

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इस प्रकार संसार में धन पाकर जो लोग उसे मित्रों और धर्म में लगाते हैं, उनके धन सारवान हैं, नष्ट होने पर अंत में वे धन ताप नहीं पैदा करते।

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तृष्णावान् व्यक्ति का मन धन-संपत्ति में और मूर्ख का काम-सुख में रमता है। जो सज्जन है वह ज्ञान द्वारा भोग-इच्छा को जीतकर शांति में रमता है।

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जीवनी 5

 

वीडियो 5

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