Font by Mehr Nastaliq Web
noImage

अवनीन्द्रनाथ ठाकुर

1871 - 1951 | जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी, पश्चिम बंगाल

प्रसिद्ध चित्रकार, लेखक और कला-आचार्य। बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट के संस्थापक।

प्रसिद्ध चित्रकार, लेखक और कला-आचार्य। बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट के संस्थापक।

अवनीन्द्रनाथ ठाकुर की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 5

बिना मूल्य के आनंदपूर्वक देना ही सर्वोत्तम दान होता है।

  • शेयर

'आदानेक्षिप्रकारिता प्रतिदाने चिरायुता' अर्थात् ग्रहण करने में शीघ्रता करनी चाहिए किंतु जब दूसरों को देने का अवसर आए तब उसमें देर लगानी चाहिए। शिल्पी पर शास्त्रकार ने यह जो आदेश लागू किया है, उसका एक अर्थ है कि वस्तु के कौशल और रस को चटपट ग्रहण करना चाहिए। किंतु प्रस्तुत करते समय सोच-समझकर चलना चाहिए।

  • शेयर

मधुकर मधु लेकर तृप्त हो जाए; इससे फूल को जितना आनंद मिलता है, इसकी अपेक्षा एक शिल्पी की सजीव आत्मा, एक समझदार पारखी इससे भी आनंदित होती है, यह सत्य है, किंतु यह उसका ऊपरी पाना होता है। मिल जाए तो भी अच्छा है, मिले भी अच्छा।

  • शेयर

शिल्प का एक मूलमंत्र होता है—‘नालमतिविस्तरेण’ : अति विस्तार नहीं करना चाहिए। अति विस्तार में अपार रस रहता है, ऐसा नहीं है। अमृत तो एक बूँद होता है, लेकिन तृप्ति देता है असीम!

  • शेयर

हमारे विद्वानों ने भी कला को 'नियतिकृत नियमरहिता'—प्रकृति के नियमों से परे एक स्वतंत्र सृष्टि कहा है।

  • शेयर

Recitation