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उन्मादिनी हम अहाँकेँ कोन नाम दी

unmadini hum ahanken kon naam di

अरुणाभ सौरभ

अन्य

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अरुणाभ सौरभ

उन्मादिनी हम अहाँकेँ कोन नाम दी

अरुणाभ सौरभ

और अधिकअरुणाभ सौरभ

    पानिक बुनका-बुनकी संगहि

    भीजल माटिक दल-दल

    घनघोर बरखा

    साइकिलमे नमहर

    पाइडिल मारैत पयर

    अकछ बेकल करऽ बला,

    प्रचंड गरमीक बाद बरखा

    सभ मासमे

    सभ ऋतुमे

    ऋतु संधि स्थलकेँ

    चुनौती देतैक रजस्थली

    साइकिलसँ उतरिते,

    नजरि पड़ितय अहीँपर

    फेर कोनो एकांतक खोजमे

    भटकितहुँ हम-अहाँ

    एकांतमे अहाँक देहपर,

    थिरकैत हमर आंगुर

    सिसकारीक संग उन्माद केर,

    सभ रंगमे रंगि जेतौं

    आँखिक तरसँ झलकैत

    उद्दाम मिलनक रंगमे

    रंगि जेतहुँ अहाँक

    सोन सन मुँहक रंगमे

    रंगि जेतहुँ अहाँक ठोरक ललका टुहटुहीमे

    रंगि जेतहुँ उन्मादिनी

    हम अहाँक उन्माद बनि जेतहुँ

    उन्माद केर सभ क्षणमे सनल

    उन्मादिनी हम अहाँकेँ कोन नाम दी

    अपन बोली

    तोतराइत पहिल बोलीमे

    हिन्दीक औपचारिकता शिष्टतासँ फराक

    ओहि भाषासँ चुनल कोनो तेहन नाम

    जकरा बुझि सकय

    अहाँक सभ सखी

    हमर गामक सभ छौंड़ी

    हम अहाँक आँखि देहक भाषा बुझि

    अहाँक आँखिक त्रास केर गबाही बनऽ चाहैत छी

    आँखिक सभ बदमासीक संग

    निसाफ करऽ चाहैत छी

    बदमासियेमे घुलि-मिलि

    आँखिक बदमासीक आसरापर

    जिनगीक गाड़ी

    झीकि लेबऽ चाहैत छी

    उमड़ैत अथाह समुद्र सन

    प्रेमक सबूत बनि जेबाक इच्छुक छी

    अहाँक गालक गरमी बचेबाक इच्छुक छी

    एना करैत छी जे

    अपन ठोरमे अहाँक ठोरकेँ नुका लैत छी

    दुनियाक नजरिसँ अहाँकेँ बचाय

    अपना भीतर समाहित कऽ लैत छी

    अहाँक भीतर प्रवाहित भऽ जाइत छी

    अहाँक सौंसे शरीरमे

    जतबे तिलबा अछि

    ओत सभ मिलाकेँ

    भारतमे राज्य केन्द्र शासित प्रदेश

    भोरक खिलल सुरुज देवताकेँ

    सलामी ठोकैत

    सुरजमुखीक फूल

    रातिक भयंकर अन्हारकेँ

    फाड़ दैत सूर्य

    अहाँक केशक बीचोबीच नुकाएल

    गालक चमचमाहट छी

    पाकल गहूम सन चाम

    कुल मिला कए

    सौंसे संसारक

    सभटा गोलाइ

    ऊँचाइ

    गहराइ

    अछि अहाँक देह

    अहाँकेँ प्राप्त करनाइ

    दुनियाकेँ जाननाइ थिक

    लाल अँचरीक पाछाँ

    नुकायल देहकेँ

    अनावृत करनाइ

    सशस्त्र क्रांति छी

    आँखिक भाषा पढ़नाय

    कोनो लोकतांत्रिक देशक

    संविधान पढ़नाइ छी

    आउ अहाँक देहमे

    किछु आर रंग भरी

    आउ अहाँकेँ

    सजा दी सोन गहनामे

    रसे-रसे पसरैत

    रातिक सन्नाटामे

    एक-एकटा गहना उतारि

    अहाँकेँ अनावृत करी

    अहाँक देहक रोम रोमकेँ

    भुटका छी

    अहाँकेँ अनवरत स्पर्श करैत रही

    अहाँकेँ अनवरत चुंबन लैत रही

    अहीँसँ उत्सर्जित

    अहीँमे वासनायित

    उत्कट उद्दाम लालसाक

    चरम बिंदु छी अहाँ

    ओढ़ि लिअऽ हमरा

    भागलपुरिया चादरि सन

    हमर छोड़ा दिअऽ खुइचा

    तिरहुतिया लिच्ची सन

    चूसि लियऽ हमरा

    माल्दह आम सन

    चिबा जाउ हमरा

    मीठा पत्ता पान सन

    स्रोत :
    • पुस्तक : एतबे टा नहि (पृष्ठ 78)
    • रचनाकार : अरुणाभ सौरभ
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2017

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