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अभी मत जाओ

abhi mat jao

अनुवाद : सरिता शर्मा

व्लादिमीर होलन

अन्य

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व्लादिमीर होलन

अभी मत जाओ

व्लादिमीर होलन

और अधिकव्लादिमीर होलन

    अभी मत जाओ, सारी उठापटक से मत घबराओ

    बाग़ में भालू मधुमक्खी के छत्ते को छेड़ रहा है।

    जल्द ही शांत हो जाएगा। मैं भी रोक लूँगा

    ईडन में औरत की तरफ़ दौड़ते

    साँप के शुक्राणुओं जैसे शब्दों को।

    नहीं, अभी मत जाओ, अपना घूँघट मत गिराओ।

    क्रोकस के ईंधन ने रोशन कर दिया है घास का मैदान।

    तो तुम यह हो, मेरी जान, हालाँकि तुम कहती हो :

    —इच्छा से, हम कुछ जोड़ लेते हैं। लेकिन प्यार

    प्यार बना रहता है।

    आख़िरकार कुछ भी नहीं

    हाँ, सवेरा हो गया है और मुझे नहीं पता

    पूरे हफ़्ते मैंने जल्दबाज़ी क्यों की

    सर्द मार्गों की ढलान से इस दरवाज़े तक

    जहाँ अब मैं खड़ा हूँ अपने समय के सामने

    मैं नहीं चाहता था भविष्य को ज़बर्दस्ती लाना।

    अंधे आदमी को जगाना नहीं चाहता था।

    उसे मेरे लिए दरवाज़ा खोलना पड़ेगा

    और फिर वापस लौट जाना होगा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : विश्व की श्रेष्ठ कविताएँ (पृष्ठ 62)
    • रचनाकार : व्लादिमीर होलन
    • प्रकाशन : इंडिया टेलिंग
    • संस्करण : 2020

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