साँस पर राग कइसन सजल बा इहाँ
दर्द आउर हिया में बढ़ल बा इहाँ
जाईं अब हम त जाईं कहाँ एह समय
एगो दरवाजा रउरे खुलल बा इहाँ
चान धूमिल भइल, सूर्य रोगी भइल
जे बा बरियार, मुखिया बनल बा इहाँ
रिश्ता-नाता कबे के खतम हो गइल
खाली मुद्रा के नाता चलल बा इहाँ
एह से केहू के कवनो फरक ना पड़ी
लाश उहवाँ पड़ल भा पड़ल बा इहाँ
- पुस्तक : समय के राग (पृष्ठ 37)
- संपादक : जगन्नाथ, भगवती प्रसाद द्विवेदी
- रचनाकार : गहबर गोवर्द्धन
- प्रकाशन : भोजपुरी साहित्य प्रतिष्ठान, पटना
- संस्करण : 2003
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.