दिशाहीन उपन्यास का कथानक सच्ची घटना पर आधारित है। उसे साहित्यिक रूप देने के लिए आवश्यक बदलाव भी किए गए हैं, पर इस बात का पूरा ख़्याल रखा गया है कि घटनाक्रम की मौलिकता बनी रहे। उपन्यास में ऐसी 'माँ' का चित्रण है जो भौतिक कारणों से बहक कर मार्ग में भटक जाती है, क्रूरता के सारे मानदंड पार कर जाती है और वर्षों उसी मार्ग पर चलती रहती है, समाज में अपनी छवि बनाए रखने के लिए झूठ और फरेब का पहाड़ खड़ा कर लेती है, करती जाती है। एक दिन वह भी आता है, जब उसी पहाड़ से नीचे गिर जाती है...।