यह उपन्यास किसी एक संचिता और रोहन की कहानी नहीं है बल्कि हमारे आस-पास घुमते फिरते उन तमाम संचिताओ और रोहनों की कहानी है जो विकृत मन लेकर जी रहे हैं और एक नई अनन्या की तलाश कर रहें हैं। अनन्या नामक पुस्तक व्यक्ति और समाज दोनों पर कई अन्य सवाल खड़े करती है।