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8 अगस्त को ज़िक्र-ए-इरशाद

8 अगस्त 2025 को नई दिल्ली के मंडी हाउस स्थित एलटीजी ऑडिटोरियम में एक विशेष स्मृति संध्या का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन प्रसिद्ध शायर, गीतकार, नाटककार और कहानीकार इरशाद ख़ान सिकंदर की जयंती के अवसर पर उनकी याद और उनके रचनात्मक अवदान को समर्पित है। इस कार्यक्रम का नाम है—ज़िक्र-ए-इरशाद। 

ज़िक्र-ए-इरशाद—एक ऐसा आयोजन है जो केवल एक नाट्य प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संकल्प है। इस कार्यक्रम की शुरुआत इरशाद ख़ान सिकंदर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पण से होगी, जिसके बाद उनके साथ वर्षों तक काम करने वाले कलाकार, लेखक और सांस्कृतिक हस्तियाँ उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को याद करेंगे। यह एक अंतरंग और आत्मीय माहौल होगा, जहाँ शब्दों के ज़रिए स्मृति को जीवित रखा जाएगा।

कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण है इरशाद ख़ान सिकंदर द्वारा लिखित नाटक ‘ठेके पर मुशायरा’, जिसे युवा रंग निर्देशक दिलीप गुप्ता ने निर्देशित किया है। इस नाटक की दो प्रस्तुतियाँ होंगी—पहली शाम 5 बजे और दूसरी रात 7:30 बजे। यह नाटक आज के समय में साहित्य और संस्कृति पर पड़ते बाज़ारवादी दबाव, साहित्यिक मंचों की गिरती गरिमा और गंभीर लेखन की उपेक्षा जैसे मुद्दों को हास्य और व्यंग्य के माध्यम से प्रस्तुत करता है।

नाटक में उर्दू कविता, रंगमंच, संगीत और बाज़ार से जुड़े कई रंगीन और व्यंग्यात्मक पात्र हैं—उस्ताद कमाल लखनवी, राम भरोसे ‘ग़ालिब’, बाग़ देहलवी, तेवर ख़यालपुरी, मौसमी मैना सहगल, छांगुर ऑलराउंडर, अनुराग आहन आदि—जिनके माध्यम से लेखक ने आज के साहित्यिक परिदृश्य की विडंबनाओं को उजागर किया है। यह नाटक दर्शकों को हँसाता भी है और भीतर से झकझोरता भी है।

इरशाद ख़ान सिकंदर का जन्म 8 अगस्त 1983 को उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर ज़िले में हुआ था। उन्होंने बहुत कम समय में उर्दू, हिंदी और भोजपुरी साहित्य में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई। उनके चर्चित ग़ज़ल संग्रहों में ‘दूसरा इश्क़’ और ‘आँसुओं का तर्जुमा’ शामिल हैं, जिन्हें व्यापक सराहना मिली। ‘जौन एलिया का जिन्न’ और ‘अमीरन उमराव अदा’ जैसे नाटकों ने उन्हें रंगमंच की दुनिया में भी एक सशक्त आवाज़ के रूप में स्थापित किया। 2020 में उन्हें ‘शिवना अंतरराष्ट्रीय काव्य पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। उनके असामयिक निधन ने साहित्य और रंगमंच की दुनिया में एक गहरी रिक्तता छोड़ दी, जिसे यह कार्यक्रम भरने का एक विनम्र प्रयास है।

नाटक का निर्देशन कर रहे दिलीप गुप्ता पिछले दो दशकों से रंगमंच में सक्रिय हैं। उन्होंने श्रीराम सेंटर की रिपर्टरी में कई वर्षों तक कार्य किया और कई चर्चित नाटकों का निर्देशन किया है। ‘ठेके पर मुशायरा’ को वह एक ऐसी प्रस्तुति मानते हैं जो कविता, विचार और व्यंग्य को एक साथ मंच पर लाकर दर्शकों से संवाद करती है।

इस आयोजन का संचालन नाट्य समूह Cyclorama कर रहा है—एक ऐसा रंगमंच समूह जो परंपरा और प्रयोग के संगम से थिएटर की नई दिशाएँ खोज रहा है। इस समूह के पिछले कार्यों में ‘नेटुआ’, ‘मगध’ और ‘ठेके पर मुशायरा’ जैसे नाटकों को दर्शकों और आलोचकों से समान रूप से सराहना मिली है।

‘ज़िक्र-ए-इरशाद’ एक सांस्कृतिक पहल है, जिसकी सारी आय इरशाद ख़ान सिकंदर के परिवार को भेंट की जाएगी—उस स्वर को धन्यवाद स्वरूप, जिसने न जाने कितने लोगों को अपनी आवाज़ दी। यह आयोजन केवल एक शाम नहीं, बल्कि एक वादा है—उस याद को ज़िंदा रखने का, जो शब्दों में बसती है; उस विरासत को आगे बढ़ाने का, जो अब भी साँस ले रही है।

जो लोग साहित्य, रंगमंच और संवेदना में विश्वास रखते हैं, उनके लिए यह शाम केवल एक प्रदर्शन नहीं, एक अनुभव होगी। एक ऐसी अनुभूति, जहाँ मंच पर कविता फिर से साँस लेगी, और यादें फिर से जीवित हो होंगी।

कार्यक्रम विवरण

तारीख़ : 8 अगस्त 2025 (शुक्रवार)
स्थान : LTG ऑडिटोरियम, कोपरनिकस मार्ग, मंडी हाउस, नई दिल्ली - 110001
प्रवेश : टिकट आधारित (Entry Ticket / Support Ticket)
ऑनलाइन टिकट : zikr-e-irshad
व्हाट्सअप बुकिंग : +91 9220469400
भाषा : हिंदी / उर्दू
शैली : व्यंग्य, हास्य।
प्रत्येक नाटक की अवधि : लगभग 1 घंटा 45 मिनट
Official Trailer : यहाँ देखिए

कार्यक्रम अनुसूची

• 4:00 PM : इरशाद ख़ान सिकंदर के चित्र पर पुष्पांजलि
• 4:15 PM : श्रद्धांजलि वक्तव्य 
• 5:00 PM : ठेके पर मुशायरा—पहली प्रस्तुति
• 7:30 PM : ठेके पर मुशायरा—दूसरी प्रस्तुति

विशेष सूचना : इस आयोजन से प्राप्त समस्त आय इरशाद ख़ान सिकंदर के परिवार को समर्पित की जाएगी—एक श्रद्धांजलि के रूप में।

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