पंकज विश्वजीत के बेला
वैशाख की कविता : ताड़ी
फागुन और चैत के मदमस्त, अलसाये दिन-रात के बर’अक्स वैशाख बड़ा कामकाजी महीना है―खेत-खलिहान से संपृक्त महीना। पुराणों में इसे ‘माधव मास’ कहा गया है, लेकिन रसिकों ने इसे ‘मधुमास’ कहा है। और हो भी क्यों न!
1995 | ग़ाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश
नई पीढ़ी के कवि-गद्यकार।
नई पीढ़ी के कवि-गद्यकार।
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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