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महिमभट्ट

महिमभट्ट के उद्धरण

जब कवि का चित्त रसानुकूल शब्द-अर्थ के चिंतन में एकाग्र हो जाता है, उस समय क्षण भर के लिए पदार्थ के वास्तविक स्वरूप का स्पर्श करते हुए उसकी जो प्रज्ञा स्फुरित होती है, उसी का नाम प्रतिभा है।

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