आलोक रंजन के बेला
भूले-भटके दिन : कुछ रूमानी टुकड़े
मैंने अपने सबसे असुरक्षित क्षणों में जब-जब तुम्हें याद किया है, तब-तब यह सवाल आया कि बीतते समय के साथ मैं तुम्हारे लिए महत्त्वपूर्ण रहूँगा कि नहीं! संभव है, यह प्रश्न तुम्हारे ज़ेहन में भी उठता होगा,