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साँप पर बेला

28 मई 2024

विषधारी मत डोल कि मेरा आसन बहुत कड़ा है

विषधारी मत डोल कि मेरा आसन बहुत कड़ा है

बचपन में पिता की टेबल पर जिन किताबों से मेरा साबका पड़ता था, उनमें शेक्‍सपियर के कंपलीट वर्क्‍स के साथ मुक्तिबोध की ‘भूरी-भूरी खाक धूल’, नामवर सिंह की ‘दूसरी परंपरा की खोज’ के अलावा रामधारी सिंह दिनक

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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