तृष्णा पर उद्धरण
तृष्णा अप्राप्त की प्राप्ति
की तीव्र इच्छा का भाव है। एक प्रबल मनोभाव के रूप में विभिन्न विषय-प्रसंगों में तृष्णा का रूपक नैसर्गिक रूप से अभिव्यक्त होता रहा है। यहाँ इस चयन में तृष्णा, तृषा, प्यास, पिपासा, कामना की पूर्ति-अपूर्ति के संदर्भ रचती कविताओं का संकलन किया गया है।

आयु का अंतिम दिन सुखद व्यतीत हो, इसलिए यह कठिन परिश्रम मैंने किया। अब मैं चिंतारहित होकर विश्राम कर रहा हूँ तृष्णा की दौड़ समाप्त हो चुकी है।