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कक्षा-7 एनसीईआरटी पर दोहे

कहि रहीम संपत्ति सगे, बनत बहुत बहु रीत।

बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत॥

जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।

रहिमन मछरी नीर को तऊ छाँड़ति छोह॥

तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत पान।

कहि रहीम परकाज हित, संपत्ति-सचहिं सुजान॥

थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात।

धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात॥

धरती की-सी रीत है, सीत घाम मेह।

जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह॥

रहीम

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