हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी
बड़ौदा का बोर्डिंग स्कूल
मक़बूल अब लड़का नहीं रहा क्योंकि उसके दादा चल बसे। लड़के के अब्बा ने सोचा क्यों न उसे बड़ौदा के बोर्डिंग स्कूल में दाख़िल करा दिया जाए, वरना दिनभर अपने दादा के कमरे में बंद रहता है। सोता भी है तो दादा के बिस्तर-पर और वही भूरी