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किसी वस्तु को स्वीकार और किसी धर्म पर विश्वास
रामतीर्थ
यदि किसी प्रतिभाशाली लेखक से
आइज़क डी'ज़रायली
कला की भारतीय परिभाषा और उसके संबंध में भारतीय दृष्टिकोण
वाल्मीकि के ऐसे ही विगलित हृदय ने—मा निषाद, प्रतिष्ठान्त्वमगमः शाश्वती समाः
राय कृष्णदास
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नाश रहित तो उसको जान कि जिससे यह संपूर्ण जगत्
वेदव्यास
इस तथ्य के कारण कि वह गूँगा था
इस तथ्य के कारण कि वह गूँगा था; वे उसे वे सभी गुण देने में सक्षम थे, जो वे चाहते थे कि उसमें हों।
कार्सन मैक्कुलर्स
मैंने उसको देखा है...
देख न सकतीं आँखें जिसको मैंने उसको देखा है।दिखा रहा जो सब में ख़ुद को मैंने उसको देखा है॥
ज्ञानराज माणिकप्रभु
तोहरी नानी के हाँड़े मा
तू बदला दिन मा पाँच सूट हम ढाँकी लाज कछाड़े मा।तोहरी नानी के हाँड़े मा।
आद्या प्रसाद 'उन्मत्त'
डर है उसको किसके बल का
बल वाह 'रमा' कब कौन कहाँ तुम्हरे बिन नाथ उबारत हैं।उसको डर क्या भवसागर को जिसको करुणानिधि तारत हैं॥
रमादेवी
भोली मुन्धि मा गब्बु करि
भोली मुन्धि मा गब्बु करि, पिक्खिवि पडरूवाइँ।चउदह-सइ छहुत्तरइँ, मुंजह गयह गयाइँ॥
मुंज
अपने दुख मा ना दुखी केहू
अँगने मा बाटइ कटाजुज्झ, पटकी कै पटका हाता मा।जेहका देखा निरदोस 'अनुज', सब ढूँढ़य दोस विधाता मा।