यंत्रीकरण के साथ समाज यंत्र निष्ठ हो जाता है। यंत्र पर इतना भरोसा न हो कि वह मनुष्य की जगह ले ले। यंत्र में इतना विश्वास न हो कि मनुष्य के ऊपर भरोसा ही न रहे। आर्थिक संयोजन में यंत्र हो, यह अलग बात है, लेकिन मनुष्य की जगह यंत्र ही न आ जाए, इसकी सावधानी रखनी चाहिए।