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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

यह कहना ग़लत है कि मेरी कविताएँ लोगों को समझ में नहीं आतीं। किंतु यह बात सत्य है कि वे प्रगतिवादी ढाँचे की नहीं हैं, न उनकी तत्त्व-व्यवस्था विशुद्ध सामाजिक-राजनैतिक है, यद्यपि ये सामाजिक-राजनैतिक तत्त्व, बेमालूम तरीक़े से उनमें मिले हुए हैं।