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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

विचारधाराओं की जड़ीभूत स्थिति यही सूचित करती है कि जीवन द्वारा उपस्थित नए सत्यों, तथ्यों तथा समस्याओं से उसने अपने-आपको अलग करके, कूटस्थ ब्रह्म की स्वयंपूर्ण-संपूर्ण इयत्ता स्थापित कर ली है।