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श्यामसुंदर दास के उद्धरण

वर्तमान समय में मनुष्य की अभिव्यंजना-शक्ति इतनी अधिक विकसित हो गई है कि वह अपने मस्तिष्क-पट पर बाह्य सृष्टि के जिन छायाचित्रों को ग्रहण करता है, उन्हें अनायास ही व्यक्त करने में समर्थ होता है।