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श्यामसुंदर दास के उद्धरण

वर्तमान काल में अधिकांश काव्य-साहित्य गद्य में प्रकाशित हो रहा है और यह आशा करना अनुचित न होगा कि भविष्य में गद्य का ही अधिकाधिक प्रयोग किया जाएगा।