तनाव केवल घिराव से ही उत्पन्न नहीं होता, वह तो सचेत और जागरूक द्वंद्व-संघर्ष से भी उत्पन्न हो सकता है। लेकिन मुश्किल यह है कि यदि व्यक्तित्व में केवल घिराव-ही-घिराव रहे—भले ही लेखक इस घिराव को कोई-न-कोई अच्छा नाम देकर टकरा दे—तो व्यक्तित्व स्थित्यात्मक हो जाएगा।