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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

संवेदानात्मक उद्देश्य विद्युत की वह धारा है; जो अंतर्व्यक्तित्व से प्रसूत होकर जीवन-विधान करती है, कला-विधान करती है, अभिव्यक्ति-विधान करती है। आत्मचरित्रात्मक और सृजनशील ये संवेदनात्मक उद्देश्य, हृदय में स्थित जीवंत अनुभवों को संकलित कर, उन्हें कल्पना के सहयोग से उद्दीप्त और मूर्तिमान करते हुए—एक ओर प्रवाहित कर देते हैं।