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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

स्वयं के द्वारा विकसित किए गए व्यवधान, जो कंडीशंड साहित्य रिफ्लेक्सेज का ही एक अंश होते हैं, उस आधुनिक तत्व की आधुनिक अर्थ-सत्ता को समाप्त कर देने की राह देखते रहते हैं।