रामधारी सिंह दिनकर के उद्धरण

प्राचीन और मध्यकालीन युगों में सोद्देश्यता काव्य का दोष नहीं मानी जाती, किंतु आधुनिकता की निगूढ़ व्याप्तियाँ जैसे-जैसे खुलती जाती हैं—सोद्देश्यता काव्य का दुर्गुण बनती जाती हैं।
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