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जयशंकर प्रसाद के उद्धरण

पुरुष कितना बड़ा ढोंगी है बेटी। वह हृदय के विरुद्ध ही तो जीभ से कहता है। आश्चर्य है उसे सत्य कहकर चिल्लाता है।