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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

पूँजीवाद की प्राथमिक क्रांतिकारी वैज्ञानिक (दृष्टिकोण संबंधी) स्फूर्ति का पर्यवसान, पूँजीवाद के क्रांतिकारित्व के समाप्त हो जाने के अनंतर, अलौकिक, श्रद्धालु अवैज्ञानिक सिद्धांतों में परिणत हुआ, जिसका मूल कारण है—पतनोन्मुख पूँजीवाद की घोर वैयक्तिकता।