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भामह के उद्धरण

पृथ्वीलोक की स्थितिपर्यंत कीर्ति चाहने वाले व्यक्ति को, सभी ज्ञातव्य विषयों को जानकर काव्य प्रणयन का यत्न करना चाहिए।

अनुवाद : रामानंद शर्मा