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भामह के उद्धरण

विनय के बिना संपत्ति से क्या लाभ? चंद्रमा के बिना रात्रि की क्या शोभा? सत्कवित्व के बिना वाग्विदग्धता कैसी।

अनुवाद : रामानंद शर्मा