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श्यामसुंदर दास के उद्धरण

प्रसिद्ध कलाशास्त्री क्रोचे का कथन है कि न तो कलाशास्त्र की दृष्टि से, और ना दार्शनिक दृष्टि से कलाओं का श्रेणी विभाग किया जा सकता है।