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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

पंतजी वास्तव के प्रति संवेदनाशील होकर; जब-जब तत्प्रति उन्मुख हुए, उनके मन पर अपना ख़ुद का बोझ कभी नहीं रहा।