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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

पतनोन्मुख पूँजीवादी साहित्य और दर्शन की दो विशेषताएँ हैं—प्रथमतः, घोर वैयक्तिकता; दूसरे, दृष्टिकोण की अवैज्ञानिकता। इन दोनों की जड़ एक ही है और ये दो विशेषताएँ एक सिक्के की दो बाजुएँ हैं।