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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

मानव-कष्ट-दुःख-संताप की जीवन-भूमि, इतनी स्पष्ट और सहज संवेद्य है (आज की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में ऐसा होना ही स्वाभाविक है) कि उससे इनकार नहीं किया जा सकता।